बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ चरम पर हैं। राज्य की 243 सीटों के लिए होने वाले इस चुनाव को देशभर की राजनीति और राज्यों की सत्ता संरचना पर गहरा प्रभाव डालने वाला माना जा रहा है।
🗓️ चुनावी पृष्ठभूमि और समय-सीमा
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इस वर्ष विधानसभा चुनाव अक्टूबर–नवंबर 2025 के बीच कराए जाने की संभावना है।
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वर्तमान विधान सभा से सभी 243 सीटों के लिए मतदान होगा, और बहुमत के लिए 122 सीटें आवश्यक होंगी।
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पिछली बार के चुनाव में NDA ने भारी जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार राजनीतिक खेल अधिक जटिल दिख रहा है।
🤝 दल और गठबंधन रणनीति
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NDA (BJP + JD(U) आदि) को अपनी सत्ता बनाए रखने की चुनौती है।
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JD(U) के साथ संबंध, सीट बंटवारे और प्रत्याशी चयन को लेकर हलचल है।
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BJP नए चेहरे और जनकल्याण योजनाओं के आधार पर जनसमर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।
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MGB (Mahagathbandhan): RJD, कांग्रेस और अन्य दल मिलकर विपक्ष की भूमिका निभाने का प्रयास कर रहे हैं।
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Tejashwi Yadav को बड़े दलों से समर्थन मिल रहा है।
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कांग्रेस ने भी अपने ओर सत्ता प्रवेश का मौका देखा है।
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नए दल / तथाकथित “तीसरा मोर्चा” भी विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं — कुछ क्षेत्रीय और स्थानीय दलों ने कदम बढ़ाया है।
🧑🎓 युवा और मतदाताओं की भूमिका
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बिहार की जनसंख्या में युवा वर्ग की हिस्सेदारी अधिक है, और उनका मतदान रुझान चुनाव की दिशा तय कर सकता है।
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रोजगार, शिक्षा, ग्रामीण विकास और युवाओं को घर लौटाने वाली योजनाएँ चुनावी एजेंडे में प्रमुख हैं।
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सोशल मीडिया, इंटरनेट कैंपेन और डिजिटल जागरूकता इस बार चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
🔍 मुख्य मुद्दे और चुनौतियाँ
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बेरोजगारी: विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों और पढ़े-लिखे युवाओं में।
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किसानों की समस्या: कर्ज, फसलों की बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांगें।
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परिसाधन और विकास: सड़क, पानी, बिजली जैसी आधारभूत सुविधाएँ।
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जाति और स्थानीय समीकरण: बिहार की राजनीति में जाति समीकरण हमेशा निर्णायक रहा है।
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भ्रष्टाचार और योजनाओं की पारदर्शिता: जनता को यह भरोसा चाहिए कि योजनाएँ वादे भर न हों।
🗳️ मुकाबला और संभावित रुझान
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यदि NDA अपनी विधानसभा सीटों का अधिकांश हिस्सा बरकरार रखे, तो वह राज्य में सत्ता बनाए रख सकती है।
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लेकिन यदि Mahagathbandhan मजबूत मोर्चे के रूप में उभरता है और स्थानीय गठबंधनों को जोड़े, तो सत्ता परिवर्तन संभव है।
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“तीसरा मोर्चा” का प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन वह बीजेपी और RJD दोनों के वोट काट सकता है।
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युवा वोटर का सूक्ष्म झुकाव किसी भी गठबंधन को मदद या बाधा दे सकता है।