दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), 6 अक्टूबर 2025 – उत्तर बंगाल के पहाड़ी इलाकों में पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने भीषण तबाही मचाई है। दार्जिलिंग और आसपास के जिलों में कई जगहों पर भूस्खलन हुआ, जिसमें अब तक कम से कम 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं और कई के लापता होने की आशंका है।
📍 घटनास्थल का हाल
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दार्जिलिंग शहर और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में भारी बारिश के चलते घर और झोपड़ियां पूरी तरह ढह गईं।
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पहाड़ी रास्तों पर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया है जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग-10 पर आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है।
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कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी जिलों में भी कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
👮 राहत एवं बचाव कार्य
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NDRF और SDRF की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं।
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अब तक 2,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
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सेना को भी संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है ताकि फंसे हुए लोगों को निकाला जा सके।
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राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा है कि प्राथमिकता लापता लोगों की तलाश और घायलों को तत्काल इलाज मुहैया कराना है।
🗣️ सरकार का रुख
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालात का जायज़ा लेने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है।
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उन्होंने कहा:
“यह बेहद दुखद है। हमारी सरकार हर प्रभावित परिवार तक राहत पहुंचाएगी। मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा।”
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केंद्र सरकार ने भी राज्य को हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया है।
🌧️ मौसम विभाग का अलर्ट
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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों तक भारी बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है।
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पहाड़ी जिलों में और भूस्खलन की संभावना जताई गई है।
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लोगों को घरों में सुरक्षित रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
🌾 आम जनता और किसानों पर असर
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चाय बागानों और खेतों में पानी भर जाने से भारी नुकसान हुआ है।
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स्थानीय किसानों ने आशंका जताई है कि अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।
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हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
📌 निष्कर्ष
दार्जिलिंग और उत्तर बंगाल में आई इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर पहाड़ी राज्यों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें लगातार काम कर रही हैं, लेकिन चुनौती बड़ी है। राहत और पुनर्वास का यह अभियान आने वाले दिनों में और कठिन हो सकता है।