भारत और European Free Trade Association (EFTA) के बीच किया गया Trade and Economic Partnership Agreement आज से लागू हो गया है। इस समझौते के तहत भारत को EFTA देशों (स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिचेंस्टीन) के लगभग 92.2% टैरिफ लाइनों पर अपनी नई निर्यात वस्तुओं पर छूट मिलेगी, जबकि भारत EFTA देशों के 82.7% लाइनों को कवर करेगा। यह समझौता भारत के निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
समझौते का महत्व
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इस के कारण भारतीय कंपनियों को EFTA बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर प्रवेश मिलेगा।
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टेक्सटाइल, चमड़ा, कृषि उत्पाद और खाद्य प्रसंस्करण में निर्यात को खास लाभ होगी।
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अनुमान है कि अगले 15 सालों में इस समझौते की वजह से अमेरिकी मुद्रा में अमेरिका के $100 बिलियन तक निवेश आ सकता है।
चुनौतियाँ और सुरक्षा उपाय
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संवेदनशील कृषि और डेयरी उत्पादों को बचाने के लिए कुछ लाइनों पर छूट बनाए रखी गई है।
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निर्यातकों और उद्योगों को इस बदलाव के लिए तैयारी करनी होगी ताकि लागत एवं गुणवत्ता का संतुलन बना रहे।
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ट्रेड नीतियों, लॉजिस्टिक्स और उत्पाद मानकों में सुधार की आवश्यकता बढ़ेगी।