भारत-अफगानिस्तान रिश्तों में नया मोड़ — तालिबान विदेश मंत्री का भारत दौरा प्रस्तावित

भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में एक नया अध्याय खुल सकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अस्थायी रूप से तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी पर लगे यात्रा प्रतिबंध (travel ban) को उठाया है, जिससे 9 से 16 अक्टूबर 2025 के बीच वह भारत की यात्रा कर सकते हैं। यह भारत की राजनीति और कूटनीति दोनों के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


🧾 प्रस्तावित विजिट का महत्व

  • यह पहली बार होगा जब तालिबान सरकार का कोई सीनियर मंत्री भारत में आधिकारिक रूप से आएगा।

  • यात्रा का उद्देश्य व्यापार, स्वास्थ्य, कांसुलर सेवाएँ और आर्थिक सहयोग पर बातचीत करना बताया गया है।

  • भारत ने अभी तक इस विजिट की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बातचीत जारी हैं।

  • मुत्तकी यात्रा से पहले रूस की यात्रा कर सकते हैं, जहां पहले ही अन्य देशों के साथ अफगानिस्तान की भूमिका पर चर्चा होगी।


🔍 क्यों यह कदम महत्वपूर्ण है?

  1. तालिबान को वैधानिक मान्यता
    यह कदम संकेत देता है कि भारत तालिबान को पूर्ण तौर पर बहिष्कृत करने की बजाय संवाद-आधारित नीति अपनाना चाहता है।

  2. क्षेत्रीय स्थिरता
    अफगानिस्तान से सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा एवं कूटनीति के लिहाज़ से यह यात्रा अहम हो सकती है।

  3. मानवीय सहायता
    भारत ने पहले भी अफगानिस्तान को मानवीय मदद दी है। इस यात्रा के ज़रिए कांसुलर और स्वास्थ्य सहयोग को और व्यवस्थित किया जा सकता है।

  4. समझौतों की संभावनाएँ
    व्यापार और परिवहन मार्गों की बहाली, ऊर्जा साझेदारी, तथा प्रवासियों / शरणार्थियों की व्यवस्था इस बातचीत में शामिल हो सकते हैं।


⚠️ चुनौतियाँ एवं आलोचनाएँ

 

  • विपक्षी दलों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस कदम पर चिंता जताई है कि तालिबान सरकार की मान्यता देना संवेदनशील दायित्व होगा।

  • भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी समझौता संवैधानिक और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के खिलाफ न हो

  • अफगानिस्तान में अभी भी मानवाधिकार और महिला अधिकारों की स्थिति विवादित है — इस पुष्ट दौरे पर भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी जुड़ी हुई है।