आज पूरे भारत में दशहरा (विजयदशमी) का पर्व बड़े ही उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व दोनों ही अत्यंत गहरा है।
दशहरे का महत्व
दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है।
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मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी।
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साथ ही, यह दिन देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का भी प्रतीक है।
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यह पर्व हमें याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छाई की विजय निश्चित है।
देशभर में कैसे मनाया जा रहा है?
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उत्तर भारत में जगह-जगह रामलीला के मंचन के बाद रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जा रहा है।
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पश्चिम बंगाल में यह दिन दुर्गा पूजा विसर्जन के साथ जुड़ा हुआ है, जहाँ माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन नदी और तालाबों में किया जा रहा है।
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दक्षिण भारत में दशहरा को नवरात्रि उत्सव और गोलू सजावट के साथ मनाया जाता है।
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गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और दांडिया के साथ उत्सव की रौनक देखते ही बनती है।
दशहरे पर बाज़ारों की रौनक
त्योहार का असर बाज़ारों में भी साफ दिख रहा है। लोग इस शुभ दिन पर नए वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज़ेवर और घर की ज़रूरत का सामान खरीदना शुभ मानते हैं।
संदेश
दशहरा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज को यह संदेश देता है कि हमें हर प्रकार की बुराई — चाहे वह घमंड हो, लोभ हो या अन्याय — का अंत करना चाहिए और सत्य, साहस और धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए।